MANAV JEEVAN VIKAS SAMITI

मानव जीवन विकास समिति एक स्वयंसेवी संस्था है जो नवम्बर 2000 में सोसायटी एक्ट के तहत जबलपुर सम्भाग से रजिस्टर्ड हुई है जो पिछले 13 वर्षों से अपनी गतिविधियां लोगों के सहयोग से चला रही है ।

समिति में 7 सदस्सीय प्रबंध समिति एवं 9 सदस्सीय साधारण सभा है ।

पृष्ठभूमि

मध्यप्रदेश के उत्तरी-पूर्वी दिशा की ओर जबलपुर सम्भाग में जिला कटनी है , जो ना तो बुन्देलखण्ड ना बुन्देलखण्ड और ना ही महाकौशल क्षेत्र में आता है बल्कि इसे अपना अलग स्थानीय क्षेत्र से जाना जाता है । रूहेलखण्ड की परम्परा रही है कि रूहेल राजपूताने होने के कारण यहां पर सामंती व्यवस्था के साथ-साथ सामाजिक कुरीतियों में प्रबल दावेदार के साथ विद्यमान है । इस जिले के प्रमुख भागों में सोन एवं महानदी का कगार आता है तथा टमस नदी का उद्दव क्षेत्र एवं कैमोर पहाडियों से लगा हुआ विन्ध्यांचल क्षेत्र का शिरा माना जाता है । सोन एवं महानदी में बिल्डिंग बनाने वाली रेत का बडा व्यापार होता है । जबकि कि इसी इलाके में बाणसागर बांध बनाने से यहां कि कृषि एवं वन संपदा पर प्रतिकूल प्रभाव पडना साफ दिखाई दे रहा है ।यह क्षेत्र कैमूर की पहाडियां बांधवगढ के सफेद शेर के नाम से मशहूर जंगल के बीचांे-बीच का इलाका माना जाता है जो रूहेलखण्ड के नाम से जाना जाता है । यहां पर कोल, गोड एवं भूमियां जाति के आदिवासी बहुतायत से पाये जाते हैं । जबकि कोल जनजाति का उद्दम क्षेत्र माना जाता है । सम्पूर्ण क्षेत्र में लगभग 40 प्रतिशत कोल जनजाति का निवास होना अपने आप में प्रभावित है । इन जनजातियों के अलावा सामान्य, अनसूचित जनजाति, पिछडा वर्ग की बसाहट है । आदिवासी एवं पठारी क्षेत्र होने के कारण खेती की हालत पुरानी परम्परा से हटकर आज के परिवेश में रासायनिक खाद, कीटनाशक दवाई का अत्यधिक रूप से उपयोग हो रहा है । एक तरफ शहडोल जिला कालरी इलाका होने के कारण सब्जी उत्पादन अधिक मात्रा में होता है । जिसमें रासायनिक खादों का उपयोग अन्धाधुन्ध होता है । तथा अमरकंटक में जडी-बूटियों का उद्दम बहुतायत से पाया जा रहा है । इसी क्षेत्र में वार्षिक औसत वर्षा 850 से 1200 मिमी के बीचों-बीच होती है । जबकि गर्मी के मौसम में गर्मी भी अधिक पडती है । क्षेत्रीय स्तर पर इस इलाके में कोई छोटी-छोटी पार्टियां नहीं हैं ना कोई संगठन व्यापक तौर से काम कर रही है । सामाजिक दृष्टि से देखें तो बच्चों एवं महिलाओं की हालत बहुत दयनीय है । बच्चों में बाल मजदूरी करना इसका कारण अच्छी उपज वाली खेती को लेकर कर्जा में पटाने पर कर्जा रह जाता है एवं वर्ष भर भूखो मरने की नौबत आ जाती है । महिलाओं की भी ऐसी ही हालत है । पर्दा प्रथा, दहेजप्रथा आदि का आज भी तेजी से प्रचलन है । लकडी इकट्ठा करके बेंचने का काम व्यापक तौर पर होता है ।

कार्यक्रमों से उम्मीदें:-

समिति जो भी छोटे-छोटे कार्यक्रम गांवों में चला रही थी उसमें निम्न प्रकार से लोगों को स्वावलम्बन की प्रक्रिया में एक कदम आगे बढकर उम्मीद लगाई थी –
  • स्वावलम्बन प्रक्रिया में बढावा
  • पर्यावरण एवं टिकाउ स्वावलम्बन
  • पंचायती राज की समझ का विकास
  • म्हिलाओं में सशक्तिकरण
  • आदिवासी क्षेत्रों में जागरण का संकेत
  • क्षमता विकास
  • जल स्तर को बढावा एवं सुधार
  • बेरोजगार, गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों को बढावा देना
  • शासकीय योजनाओं की जानकारी देना
  • क्रियान्वयन के लिये प्रेरित करना
  • नशामुक्ति के खिलाफ माहौल निर्माण
  • युवा श्वििरों का आयोजन कर जागरूकता लाना

रणनीति:-

कार्यकर्ताओं द्वारा गांव-गांव में संगठन खडा करना

लोगों से चर्चा करना

गांव-गांव में स्वसहायता समूहों का निर्माण एवं संचालन

छोटे-छोटे नुक्कड सभाएं आयोजित करना

स्कूलों में वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन करना

शासकीय विभागों तक लकर चलना

विभागों से जानकारी लेकर योजनाओं को गांवों तक ले जाना

मूलभूत सुविधाओं पर बल देना जैसे पेयजल, बिजली, आवास, शिक्षा एवं छोटी-छोटी बीमारियों से बचाव

सामाजिक कुरीतियों को समझाने के लिये लोकगीत, नाटक प्रदर्शन आदि के माध्यमों से समझाना एक गांव से बढकर तीन – चार गांवों को मिलाकर बैठक गोष्ठी करना

समिति की गतिविधिया:-

1. भूमि प्रबन्धन

2. जड़ी बूटी संग्रह एवं संवर्धन

3. जल प्रबन्धन

4. जैविक कृषि

5. कृषि प्रषिक्षण

6. आपदा प्रबन्धन

7. वस्त्र वितरण

8. स्कालरषिप

9. लोक कला मंच

10. महिला मंच