बेटियां


लम्हा खुशी का है बेटियां ,
घर आंगन खिलखिलाते हैं हंसती है जब बेटियां,
हर घर की शान है बेटियां ,
समाज की बुनियाद है बेटियां
फिर भी पैदा होने पर ताने क्यों सुने बेटियां…..
ताउम्र कुछ रिश्तो का कुछ संस्कार का बोझ उठाती है बेटियां उड़कर बहुत दूर चली जाती है बेटियां …..
जहां जन्म लिया वहीं पराई हो जाती है बेटियां,
अपना बचपन छोड़ जिस घर में आई बेटियां ,
उस घर में भी पराई कहलाई जाती है बेटियां…..
क्यों दुनिया ने यह रस्म बनाई है, दिल का टुकड़ा मां की आंखों का जो तारा थी बेटियां,
चुपचाप से ससुराल के ताने सह लेती है बेटियां …..
ससुराल के सभी दर्द आंखों में छुपा जाती हैं बेटियां ,
कदम कदम पर टूटी ख्वाहिशें हैं बेटियां ,
मां-बाप से बिछड़ने का बोझ लिए गैरों के घर चली जाती है बेटियां, बस कुछ रस्मों से ही पराई हो जाती है बेटियां…..
परिवार की खुशियों के लिए सब त्याग देती है बेटियां,
फिर भी दोनों घरों के लिए क्यों पराई है बेटियां…..
ताउम्र अपनी मां की गोद पापा का प्यार भाई का दुलार याद करती रह जाती है बेटियां
क्यों दुनिया ने यह रस्म बनाई क्यों पराई हो जाती हैं बेटियां….😔

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